64 योगिनी मंदिर के बारे में

कुंभ सिमरिया का घर है. आज यहां गंगा नदी बह रही है। यहीं पर गंगा नदी का राजेंद्र पुल बना था। ऐसा कहा जाता है कि प्रारंभिक काल में अमृत प्राप्त करने के लिए देवताओं और राक्षसों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था जिसमें 14 रत्न प्राप्त हुए थे। उन्हीं में से एक धन्वंतरि जी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। सिमरिया का सबसे पवित्र काली स्थान अब भी दूर-दूर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। यहां काली की पूजा कई रूपों में की जाती है। यहां नील काली का विशेष आकर्षण है। 64 योगिनी मंदिर में मां काली भैरव के साथ विराजती हैं। मंदिर में काली के 64 अलग-अलग रूप भी हैं। तंत्र साधना करने वाले तांत्रिकों के लिए भी यह आकर्षण का केंद्र है। मंदिर के पास पवित्र गंगा का प्रवाह पवित्र सिद्ध काली योगिनी मंदिर की शोभा बढ़ाता है। मंदिर के अंदर दुर्गा की मूर्ति आगंतुकों और भक्तों को आकर्षित करती है। मां काली की विधि-विधान से पूजा-अर्चना वैदिक परंपरा के अनुसार की गयी. मुख्य मंदिर के अंदर पंच मुखी महादेव का मंदिर भी है। यह एक प्राचीन मूर्ति है. हम इस पवित्र स्थान सिमरिया को नमन करते हैं।

करपात्री अग्निहोत्री परमहंस
स्वामी चिदात्मन जी महाराज

करपात्री अग्निहोत्री परमहंस स्वामी चिदात्मन जी महाराज का जन्म बिहार प्रांत के बेगूसराय जिले के रुद्रपुर गांव में 21 जुलाई 1953 ईस्वी को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को एक आत्मिक ज्ञान से परिपूर्ण परिवार में हुआ जन्म के महज सात में वर्ष में ही 1960 ईस्वी में उन्हें स्वास्थ्य ध्यान की अनुभूति हो गई और वह वैराग्य के मार्ग पर प्रशस्त हो गए 17 साल तक परिव्राजक रूप में संपूर्ण भारत का भ्रमण किया इस यात्रा के क्रम में ही 1976 इसी में सिमरिया घाट पर गंगा के किनारे मां आदिशक्ति जगदंबा के साक्षात दर्शन उन्हें हुए और मां जगदंबा की आज्ञा से सिमरिया के महासमसान को अपनी तपस्थली बनाएं और यहां से वेद योग और भक्ति के प्रकाश को देश के कोने कोने में फैलाएं जगत के हर प्रकार से कल्याण हेतु वे 1967 ईस्वी में अखंड दुर्गा महायज्ञ करने का संकल्प लिया जिसकी अभी तक 70 करोड़ आहुति पूर्ण हो चुकी है और आज भी यह यज्ञ अनंत श्री कोटि भावनात्मक अंबा महायज्ञ के रूप में सर्वमंगला सिद्धाश्रम में चल रहा है गरीब और बेसहारा बच्चों के लिए मुफ्त में शिक्षा और भोजन के लिए 1977 ईस्वी में सर्वमंगला विद्यालय की स्थापना की और वृद्धों व परिपक्वता महिला पुरुषों के लिए आश्रम में विशेष रूप से रहने और हर प्रकार की सुविधाओं की व्यवस्था कर सेवा धर्म का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किए 1977 ईस्वी में सिमरिया धाम में महाकाली शक्ति पीठ और 10 महाविद्या की स्थापना तथा 2006 में मां चौसठ योगिनी शक्तिपीठ की स्थापना एवं 1990 ईस्वी में मां आदिशक्ति जगदंबा शक्ति पीठ की स्थापना कर पूरे देश को भक्ति एवं तंत्र के क्षेत्र में एक दुर्लभ अमर कृति प्रदान किए संसार के कल्याण के लिए वे 1990 ईस्वी में सर्वमंगला अध्यात्म योग विद्यापीठ सिद्ध आश्रम की स्थापना किए हैं| संसार के कल्याण के लिए 1990 ईस्वी में सर्व मंगल अध्यात्म योग विद्यापीठ सिद्धासन की स्थापना की मां गंगा की दुर्दशा देखकर रे मां गंगा की धारा को गोमुख गंगोत्री से गंगासागर तक अविरल एवं निर्मल बनाने के लिए एवं मां गंगा को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के लिए अनेकों प्रकार के सार्थक प्रयास किए और 1 फरवरी 2003 ईस्वी में गंगा मुक्ति आंदोलन की स्थापना की भारत में कुंभ महापर्व को लेकर वे कुंभ पर उत्कृष्ट अन्वेषण किए हैं और शास्त्र द्वारा यह प्रमाणित किए कि भारत में कुंभ केवल चार स्थानों पर नहीं वरन 12 स्थानों पर होनी चाहिए वह इस वक्त पर एक स्थानों की जागृति के लिए 13 अक्टूबर 2011 ईस्वी को सिमरिया धाम के पावन गंगा तट पर पहला अर्ध कुंभ का शंखनाद किए|साल 2011 में सिमरिया में आयोजित अर्ध कुंभ में महीने भर के अंतराल में 90 लाख लोगों ने स्नान किया था. कई सौ वर्षों के बाद पुनर्जीवित हुए सिमरिया महाकुंभ का पहला शाही स्नान 19 अक्टूबर 2017. अपने लाखों शिष्यों एवं भक्तों के कल्याण हेतु भारत के कोने कोने में अनेक आश्रम मंदिरों एवं शक्ति पीठ की स्थापना की है वेद और योग की महत्ता को जन जन तक पहुंचा पहुंचाने के लिए 13 मार्च 2014 ईस्वी में स्वामी चिदानंद वेद विज्ञान अनुसंधान और 2018 ईस्वी में बिहार योग पीठ की स्थापना की भारत के सभी संत महात्माओं ने उन्हें उनके महान उनके गन आध्यात्मिक ज्ञान भक्ति एवं सेवा के संकल्पों को देखते हुए पूज्य श्री गुरुदेव को संत शिरोमणि करपात्री अग्निहोत्री एवं परमहंस की सर्वोत्तम उपाधि से अलंकृत किए|

गुरुदेव बाबा जी की जीवनी भाग 1

गुरुदेव बाबा जी की जीवनी भाग 2